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संक्रामक रोगजनकों के पूरे जीनोम अनुक्रम का विस्तृत विश्लेषण
जीवाणुतत्व-संबंधी निदान उभरते हुए रोगजनकों का मुकाबला करने में एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो प्ररूपी और आनुवंशिक अनुकूलन द्वारा एंटीबायोटिक्स प्रतिरोध का सामना करने में सक्षम प्रतीत होता है। यह एक तेजी से और ज्यादातर छोटे पैमाने पर अनुकूलन (यानी प्वाइंट म्यूटेशन) कुछ एंटीबायोटिक दवाओं के लिए पूर्ण प्रतिरोध उत्पन्न कर सकता है और इस समय पारंपरिक सूक्ष्मजीवविज्ञानी तकनीकों के नैदानिक प्रभाव को खोए बिना अनुक्रम आधारित दृष्टिकोणों के लिए एक बदलाव की आवश्यकता है। एंटीबायोटिक्स प्रतिरोधी बैक्टीरिया में होने वाले आनुवंशिक परिवर्तनों की जांच, रोगाणुरोधी प्रतिरोध के आनुवंशिक निर्धारकों की और संक्रमण के प्रकोप के दौरान नैदानिक रोगजनकों की पहचान के लिए पूर्ण जीनोम अनुक्रमण (WGS) एक किफायती समाधान बन गया है। एक जैव-सूचनावादी होने के नाते, मैं उच्च- लक्षण वर्णन के लिए अनुक्रम टाइपिंग (MLST), पूरे जीनोम पर आधारित MLST (wgMLST) और एकल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज़्म (wgSNPs) आदि की पहचान करने के लिए महामारी विज्ञान विश्लेषण करने पर केंद्रित हूं। GWAS जीनोम के प्ररूपी और आनुवंशिक संबंधो के अध्ययन हेतू बनाई गई नई तकनीक है, जो Staphylococcus aureus, Clostridioides difficile और Pseudomonas aeruginosa जैसी प्रजातियों के रोगजनक नैदानिक उपभेदों में जीनोटाइपिक और प्ररूपीलक्षणों के बीच छिपे हुए संबंध, विषाणुजनित और रोगाणुरोधी प्रतिरोधों के बीच छिपे हुए संबंधों को निर्धारित करने की सुविधा प्रदान करता है। संपूर्ण जीनोम डेटा को संभालना काफी जटिल है और जैविक डेटा कि आवश्यक जानकारी को व्यक्त करने के लिए उसके सरलीकरण हेतू computer प्रोग्रामिंग कौशल की आवश्यकता होती है।
संपूर्ण जीनोम आधारित डेटा विश्लेषण के सफल अनुप्रयोग
Erasmus मेडिकल सेंटर, रॉटरडैम, द नीदरलैंड्स से एकत्रित S. aureus उपभेदों का विश्लेषण करना मेरी एक शोध परियोजना थी। S. aureus एक सामान्य अवसरवादी मानव रोगज़नक़ है जो मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं में बढ़ती दवा प्रतिरोध, रुग्णता, आक्रामक बीमारी और मृत्यु दर से जुड़ा है। S. aureus लगातार दुनिया भर में 30-50% स्वस्थ मनुष्यों के नाक के उपकला का उपनिवेश करता है। नाक उपकला कोशिकाओं का प्रवेश S. aureus के लिए उपनिवेशीकरण शुरू करने और बाद में अवसरवादी रूप से गहरे फोड़े, एंडोकार्टिटिस, ओस्टियोमाइलाइटिस, निमोनिया और रक्तप्रवाह संक्रमण जैसे घातक संक्रमणों के लिए एक पूर्ववर्ती कदम है। इस अध्ययन का लक्ष्य प्राकृतिक और कृत्रिम नाक उपनिवेशण काल के दौरान S. aureus उपभेदों में होने वाले कोर जीनोमिक म्यूटेशनल परिवर्तनों का विश्लेषण करना था, जिनकी अवधि 1 से 36 महीने के बीच थी। उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि प्राकृतिक एवं कृत्रिम उपनिवेशवाद के दौरान S. aureus , मेजबान में बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होने की दर क्या थी। इस अध्ययन मे संक्रमण के प्रकोप के दौरान मिले औसत 18 कोर जीनोम SNPs को एक महामारी के समय S. aureus स्ट्रेन की पहचान के एक मार्कर के रूप में देखा जा सकता है।
Clostridioides difficile (C. difficile ) एक अवायवीय ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया की प्रजाति है जो उच्च तापमान पर, पराबैंगनी प्रकाश में, जहरीले रसायनों की उपस्थिति में, और एंटीबायोटिक दवाओं के लगातार प्रदर्शन के दौरान जीवित रह सकती है। C. difficile के Toxigenic उपभेद C. difficile infection (CDI) का एक घातक कारण हो सकते है जो आमतौर पर दस्त से जुड़ा होता है। दशकों से सीडीआई की बढ़ती घटनाओं और C. difficile में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के तेजी से विकास के कारण यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक वैश्विक खतरा बन गया है। C. difficile इन्फेक्शन (CDI) का निदान और इसका उपचार प्रजाति-विशिष्ट लक्षण वर्णन पर अत्यधिक निर्भर है जिसमें पारंपरिक रूप से महामारी विज्ञान के उद्देश्यों के लिए PCR ribotyping शामिल है। इसलिए, मैंने डी ब्रून ग्राफ-आधारित जीनोम वाइड एसोसिएशन स्टडीज (DBGWAS) के प्रयोग से पांच हाइपर-वायरल C. difficile रिबोटाइप्स (RT) RT001, RT017, RT027, RT078 और RT106 के WGS का उपयोग करके स्ट्रेन कैरेक्टराइजेशन की नई सिंगल स्टेप प्रक्रिया विकसित करने का प्रयास किया है। इन WGS को Creighton University, USA और सार्वजनिक रिपॉजिटरी से एकत्र किया गया। C. difficile जीनोम के संरक्षित राइबोसोमल क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रो पर ध्यान केंद्रित करके कुल 47 नए जीनोटाइपिंग मार्करों की पहचान की गई। C. difficile जीनोटाइपिंग के लिए इस नए दृष्टिकोण को एंटरोबेस से निकाले गऐ 132 अलग-अलग रिबोटाइप्स के 2425 C. difficile के एक बड़े जीनोम डेटासेट के खिलाफ सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया।
पिछले दो दशकों में P. aeruginosa अपनी तेजी से उभरती उच्च एंटीबायोटिक सहिष्णु जीवन शैली के कारण वैश्विक खतरा बन गया है। अब, मैं एक इंडोनेशियाई अस्पताल से लाये गऐ कार्बापेनम गैर-अतिसंवेदनशील P. aeruginosa (CNPA) उपभेदों पर काम कर रही हूं। इस परियोजना का प्रमुख लक्ष्य पारंपरिक MLST, wgMLST और wgSNPs के आधार पर उपभेदो के बीच महामारी संबंधी सहसंबंध का अध्ययन करना है। अस्पताल के भीतर रोगी से रोगी, स्वास्थ्य देखभाल के उपकरण से रोगी या पर्यावरण से रोगी मे हुऐ P. aeruginosa संचरण के मार्गों को फिर से नामांकित करने के लिए विस्तृत SNP परिमाणीकरण की जांच की गई है। इसके अतिरिक्त, GWAS के प्रयोग से इन 237 CNPA और पहले से रिपोर्ट किए गए 672 अतिरिक्त P. aeruginosa उपभेदों के 5 अलग-अलग एंटीबायोटिक प्रतिरोध प्रोफ़ाइल का उपयोग करके नए संभावित प्रतिरोध निर्धारकों की खोज की गई है।
सामाजिक दूरी का एक नया अनुभव और नये कोरोना वायरस जनित रोग (COVID -19) का वैश्विक भय दुनिया भर मे चर्चा का मुख्य विषय है। इस वास्तविक जैविक संकट के समय में भी, एक कोरोना संक्रमित रोगी से पृथक किये गये COVID -19 virus के पूरे जीनोम पर आधारित महामारी विज्ञान विश्लेषण को कई शोधकर्ताओं द्वारा इस वैश्विक महामारी रोग की नवीनता, तेजी से होने वाले संचरण और विकास को समझने के लिए चुना जा रहा है। इसलिए, इस आसानी से पहचाने जाने वाले क्षेत्र में भी, WGS हर जैविक प्रश्न का उत्तर देने के लिए एक निर्बाध तकनीक बन रही है और इस तरह के भविष्य के वैश्विक प्रकोपों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की क्षमता रखती है।
घर मे रहें स्वस्थ रहें !!
मनीषा गोयल